कहानी संग्रह >> किसानी जीवन की पंजाबी कहानी किसानी जीवन की पंजाबी कहानीरवि रविंदर
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पंजाबी साहित्य अपने आरंभ से ही समाजोन्मुखी रहा है, परंतु आधुनिक समय तक पहुँचते-पहुँचते सामाजिक यथार्थ को पेश करना इसका प्रमुख सरोकार बन चुका है। उपन्यास तथा कहानी दोनों साहित्य रूप अपने सामर्थ्य और संभावना के अनुसार सामाजिक यथार्थ को पेश करने हेतु प्रयत्न करते रहे हैं। पंजाब के किसानी जीवन का सत्य (यथार्थ ) इन दोनों विधाओं में प्रामाणिकता से पेश किया गया है, पर किसानी जीवन की कहानी उन शक्ति संबंधों को समझने में हमारी सहायता करती है जो किसानी जीवन अथवा इसकी पृष्ठभूमि में विद्यमान हैं। ये शक्ति संबंध समाज की जगह पठन में ज्यादा दृष्टिमान हैं। इनके द्वारा हम आसानी से जिंदगी और पठन में समानताएँ तलाश सकते हैं। सामाजिक विज्ञान के अध्ययन से प्राप्त किसानी जीवन, संकट संबंधी प्राप्त धारणाओं के मुकाबले पंजाबी गल्प से प्राप्त विवरण ज्यादा प्रामाणिक साबित होते हैं। पंजाब के किसानी जीवन की कहानी का यह संग्रह इस बात को प्रमाणित करने के लिए काफी है। किसानी के दुख का कारण मात्र उनके कर्मों में ही नहीं, बल्कि उस अदृश्य सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक ताने-बाने में है जिसमें वे गुजर-बसर कर रहे हैं। इसलिए यह बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि किसानी जीवन की पूरी कहानी में ज्यादातर पात्र और स्थान ही काल्पनिक हैं, शेष सब कुछ वही है जो पंजाब की किसानी झेल रही है और जो किसानी के आज और भविष्य को बना रहा है।
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